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MP: भीषण गर्मी में बाबा महाकाल को राहत पहुंचाएगा 11 नदियों का जल, 24 से गर्भगृह में होंगे खास इंतजाम

Madhya pradesh ujjain ujjain news water from 11 rivers provide relief to baba mahakal from heat pots placed in womb: digi desk/BHN/उज्जैन/ विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आए दिन कोई न कोई बदलाव होता ही रहता है। फिर चाहे यह बदलाव दर्शन व्यवस्था को लेकर हो या फिर पूजन से संबंधित। लेकिन, 24 अप्रैल से महाकाल मंदिर में एक ऐसा बदलाव किया जाने वाला है जिससे बाबा महाकाल को वैशाख और ज्येष्ठ महीने में होने वाली गर्मी से बचाया जा सकेगा। इस बदलाव की तैयारियां मंदिर में शुरू की जा चुकी हैं और अब सिर्फ गर्भगृह में 11 मटकियों लगाए जाने का इंतजार है।  

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा (बाला गुरु) ने बताया कि वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 24 अप्रैल बुधवार से मंदिर के पंडित और पुजारी मिलकर ठंडे पानी की गलंतिका शिवलिंग के ऊपर बांधेंगे। इसमें से लगातार शिवलिंग पर जल आता रहेगा, जिससे भगवान शिव शीतलता का अनुभव करेंगे। 2 महीने तक भगवान को इसी जतन से तपती गर्मी से बचाया जा सकेगा। पंडित बाला गुरु ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर को वैशाख और ज्येष्ठ महीने की तपती गर्मी से बचाने के लिए पुजारी-पुरोहित हर साल शिवलिंग के ऊपर 11 मटकी बांधते हैं। इन मटकियों से सुबह भस्मआरती से लेकर संध्या पूजन से पहले तक भगवान महाकाल पर ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जाती है।

11 नदियों के प्रतीक स्वरूप में होती है यह मटकियां
पंडित महेश गुरु ने बताया कि वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पर मंदिर के गर्भग्रह में यह मटकिया लगाई जाती हैं। 11 मटकियों में अलग-अलग नदियों का जल जैसे कि गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा, शिप्रा अन्य नदियों का जल लाया जाता है और फिर इन मटकियों के ऊपर इन नदियों के नामों को भी लिखा जाता है। इन मटकियों को गलंतिका कहा जाता है जिससे भगवान के शीश पर सतत शीतल जलधारा प्रवाहित की जाटी है। ज्योतिर्लिंग की परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक दो माह प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाती है।

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